आधुनिक युग में कंप्यूटर यूजर की संख्या दिनो दिन बढ़ी रही है इसी
संख्या में सबसे ज्यादा इस्तेमाल इन्टरनेट चलने में होता है फिर चाहे वो
ऑफिस में हो.. साइबर कैफे में हो या किसी अन्य बाहरी जगह। लेकिन इन सबके
बीच पब्लिक कंप्यूटर या लैपटॉप पर इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों को बेफ्रिक
होने की जगह सावधान रहने की जरूरत है। दरअसल, तकनीक के लगातार बढ़ते कदम ने
हैकर्स की संख्या बढ़ा दी है। हैकिंग का ऐसा ही तरीका है हार्डवेयर
किलौगर।
यह पिन कनेक्शन के रूप में काम करता है, जो कि आपके द्वारा उस दौरान किए जाने वाले सारे प्रोसेस और डाटा को सेव कर लेता है। यहां तक की ये पिन आपके पासवर्ड, बैंकिंग या अन्य सभी डाटा को भी हैक कर लेता है।
ये गैजेट टूल इंटरनेट यूजर्स द्वारा कंप्यूटर पर किये जाने वाले हर प्रोसेस को रिकॉर्ड करने का काम करता है। ऐसे में हर इंटरनेट यूजर को पब्लिक कंप्यूटर इस्तेमाल करते समय ये सबसे पहले देख लेना चाहिए कि सिस्टम में हार्डवेयर किलौगर न लगा हो।
बाजार में 3 तरह के हार्डवेयर किलौगर मौजूद हैं। इनमें पहला पीएस 2 है। दूसरा यूएसबी किलौगर और तीसरा वाईफाई की मदद से चलने वाला वाईफाई यूएसबी किलौगर। सिस्टम में इन तीनों में से एक डिवाइस भी लगे होने पर आपका सारा डाटा ऑटोमेटिक सेव होता जाएगा।
ईमेल से लेकर चैट रूम, इंसटेंट मैसेज, वेबसाइट एड्रेस, सर्च इंजन और बाकी सभी इंटरनेट से जुड़ी प्रक्रियाओं तक इस डिवाइस की पहुंच है। दूसरे शब्दों में कहें तो, हार्डवेयर किलौगर इन सबको ट्रेस करता रहता है।
अगर कोई इस डिवाइस की मदद से आपका डाटा चुराना चाहे तो इसके लिए उसे अलग से कोई सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल नहीं करना होगा। इसे सीपीयू में लगाने के बाद से ही ये कीबोर्ड पर हुए सारे प्रेस को ट्रेस कर लेता है फिर चाहे वो सिस्टम ऑन होने पर दबाई गईं हो या फिर ऑपरेटिंग सिस्टम के लोड होने पर।
किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम पर आसानी से चलने वाले कीलौगर केवल अल्फाबेड या न्यूमेरिक बटन को ही ट्रेस नहीं करता है बल्कि इसकी मदद से हैकर कंट्रोल+सी, कंट्रोल+एफ और कंट्रोल+ऑल्ट+डिलीट जैसे ऑप्शन के लिए दबाए गए बटन को भी सेव किया जा सकता है।
किलौगर को रिमोट इंस्टाल भी किया जा सकता है। साथ ही कंप्यूटर पर एंटी वायरस होने पर भी इसे पकड़ा नहीं जा सकता है। यह डिवाइस सिस्टम के ऑन होते ही ऑटोमेटिक काम करना शुरू कर देता है।
यूजर्स की सावधानी ही हैकिंग के मामले में खतरनाक माने जाने वाले इस डिवाइस से बचने का तरीका है। पब्लिक कंप्यूटर यूज करने वालों को इसके इस्तेमाल से पहले यह ध्यान से देख लेना चाहिए कि सीपीयू या कनेक्टर में कहीं हार्डवेयर कीलौगर तो नहीं लगा है। अगर यह डिवाइस लगा है तो या उस सिस्टम का इस्तेमाल न करें या फिर डिवाइस को निकालकर इंटरनेट यूज करें।
किलौगर।
यह पिन कनेक्शन के रूप में काम करता है, जो कि आपके द्वारा उस दौरान किए जाने वाले सारे प्रोसेस और डाटा को सेव कर लेता है। यहां तक की ये पिन आपके पासवर्ड, बैंकिंग या अन्य सभी डाटा को भी हैक कर लेता है।
ये गैजेट टूल इंटरनेट यूजर्स द्वारा कंप्यूटर पर किये जाने वाले हर प्रोसेस को रिकॉर्ड करने का काम करता है। ऐसे में हर इंटरनेट यूजर को पब्लिक कंप्यूटर इस्तेमाल करते समय ये सबसे पहले देख लेना चाहिए कि सिस्टम में हार्डवेयर किलौगर न लगा हो।
बाजार में 3 तरह के हार्डवेयर किलौगर मौजूद हैं। इनमें पहला पीएस 2 है। दूसरा यूएसबी किलौगर और तीसरा वाईफाई की मदद से चलने वाला वाईफाई यूएसबी किलौगर। सिस्टम में इन तीनों में से एक डिवाइस भी लगे होने पर आपका सारा डाटा ऑटोमेटिक सेव होता जाएगा।
ईमेल से लेकर चैट रूम, इंसटेंट मैसेज, वेबसाइट एड्रेस, सर्च इंजन और बाकी सभी इंटरनेट से जुड़ी प्रक्रियाओं तक इस डिवाइस की पहुंच है। दूसरे शब्दों में कहें तो, हार्डवेयर किलौगर इन सबको ट्रेस करता रहता है।
अगर कोई इस डिवाइस की मदद से आपका डाटा चुराना चाहे तो इसके लिए उसे अलग से कोई सॉफ्टवेयर भी इंस्टॉल नहीं करना होगा। इसे सीपीयू में लगाने के बाद से ही ये कीबोर्ड पर हुए सारे प्रेस को ट्रेस कर लेता है फिर चाहे वो सिस्टम ऑन होने पर दबाई गईं हो या फिर ऑपरेटिंग सिस्टम के लोड होने पर।
किसी भी ऑपरेटिंग सिस्टम पर आसानी से चलने वाले कीलौगर केवल अल्फाबेड या न्यूमेरिक बटन को ही ट्रेस नहीं करता है बल्कि इसकी मदद से हैकर कंट्रोल+सी, कंट्रोल+एफ और कंट्रोल+ऑल्ट+डिलीट जैसे ऑप्शन के लिए दबाए गए बटन को भी सेव किया जा सकता है।
किलौगर को रिमोट इंस्टाल भी किया जा सकता है। साथ ही कंप्यूटर पर एंटी वायरस होने पर भी इसे पकड़ा नहीं जा सकता है। यह डिवाइस सिस्टम के ऑन होते ही ऑटोमेटिक काम करना शुरू कर देता है।
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बहुत बढ़िया जानकारी..
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Achhi Jaankari.....
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ReplyDeleteOsm..
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